शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2008

महिला चिटठाकारों के लिए जयपुर से शुभ सूचना


जयपुर में सात फरवरी को वूमन भास्‍कर दैनिक भास्‍कर का एक पेज) में महिला ब्‍लागर्स का जिक्र हुआ है। इसमें महिलाओं के पहले कम्‍यूनिटी ब्‍लॉग की भी चर्चा की गई है। कहा गया है कि फरवरी 2008 के आते-आते चोखेर बाली नाम से महिलाओं का एक कम्‍युनिटी ब्‍लॉग शुरू हो गया। इसमें औरतों की समाज में अपनी एक खास जगह की पैरवी की गई है। इसकी शुरुआत में ही कहा गया है- “इससे पहले कि वे आ के कहें, हमसे हमारी ही बात हमारे शब्‍दों में और बन जाए मसीहा हमारे। हम आवाज अपनी बुलंद कर लें, खुद कह दें खुद की बात, ये जुर्रत कर लें।“ यह लेख नीलिमा सुखीजा अरोडा ने लिखा है।
आपकी सुविधा के लिए लेख हूबहू प्रकाशित किया जा रहा है।
कह लूं जरा दर्द आधी धरती का...
दो सालों में हिन्दी ब्‍लॉगर महिलाओं की संख्‍या में बीस गुना इजाफा
नीलिमा सुखीजा अरोड़ा
जयपुर में डिग्री कॉलेज की लेक्‍चरर अनिता कुमार दो साल पहले तक कम्‍प्‍यूटर को एक डब्‍बे से ज्यादा कुछ नहीं समझती थीं। लेकिन सालभर पहले एक दिन जब वे यूं ही नेट पर उतरीं तो उन्हें ब्‍लॉगिंग का शौक लग गया जो अब उनका डेली रुटीन हो गया है। आलोक पुराणिक के ब्‍लॉग से प्रभावित होकर अनिता ने भी ब्‍लॉग शुरू कर दिया। नेट पर लाने में बेटे ने बड़ी भूमिका निभाई। आज वे अच्छी महिला ब्‍लॉगर्स में मानी जाती हैं। कुछ हम कहें ब्‍लॉग को बड़ी संख्‍या में हिट्स मिलते हैं।
आज से दस साल पहले जब ब्‍लॉग अस्तित्व में आया तब कोई सोच भी नहीं सकता था कि शौकिया शुरू की गई पर्सनल
वेबसाइट आज करोड़ों की संब्‍या पार कर जाएगी। आज हिन्दी में 2000 से भी ज्यादा चिट्ठेकार हैं। हालांकि महिलाओं की संख्‍या पुरुषों की तुलना में काफी कम है पर फिर भी उनकी उपस्थिति विशेष है। कारण जितनी भी महिलाएं ब्‍लॉगिंग कर रही हैं, वे काफी अच्छा लेखन कर रही हैं।
2006 में जहां हिन्दी ब्‍लॉगिंग में आधा दर्जन ब्‍लॉगर महिलाएं भी नहीं थीं वो 2008 के पहले महीने में ही 50 को पार कर चुकी हैं। पाठकों की संख्‍या तो इससे कई गुना ज्यादा है। वहीं अंग्रेजी ब्‍लॉगिंग में भारतीय महिलाओं की संख्‍या तो कई हजारों में है।
महिला ब्‍लॉगर्स अपने चिट्ठे (ब्‍लॉग) में हर विषय पर लिख रही हैं। विचार, कहानियां, कविताएं, रिपोर्ताज, चर्चाएं, संस्मरण, यात्रा विवरण आदि भी खूब खुलकर लिखे जा रहे हैं। ये सभी अलग- अलग क्षेत्रों से जुड़ी हैं। काफी समय से सुगबुगाहट थी कि महिलाओं का अपना कम्‍युनिटी ब्‍लॉग क्‍यों नहीं है जहां वे अपने मन की बात कह सकें। फरवरी 2008 के आते-आते इसकी भी नींव पड़ गई।
चोखेर बाली नाम से महिलाओं का एक कम्‍युनिटी ब्‍लॉग शुरू हो गया। जिसमें औरतों की समाज में अपनी एक खास जगह की पैरवी की गई है। इसकी शुरुआत में ही कहा गया है- इससे पहले कि वे आ के कहें, हमसे हमारी ही बात हमारे शब्‍दों में और बन जाए मसीहा हमारे। हम आवाज अपनी बुलंद कर लें, खुद कह दें खुद की बात, ये जुर्रत कर लें। ब्‍लॉग में नारी मन की बातों, गांठों और भावों को शब्‍दों का रूप देती हैं। यहां पर लिखी गई पोस्ट भी वैसी ही हैं-कह लूं जरा दर्द आधी धरती
का या कुछ नहीं समझती ये नादान लड़की। लगातार ब्‍लॉग लिखने वाली महिलाओं में कंचन सिंह चौहान, सुनीता शानू, रंजना भाटिया, प्रत्यक्षा, बेजी, नीलिमा, मीनाक्षी, पारूल जैसे कई नाम हैं जिनके ब्‍लॉग बड़ी संख्‍या में पढ़े जा रहे हैं।

12 टिप्‍पणियां:

Sanjeet Tripathi ने कहा…

बढ़िया लेख बधाई नीलिमा जी को पर अनिताकुमार जी जयपुर में लेक्चरर हैं?? जमाने को तो यह खबर है कि वह मुंबई में लेक्चरर हैं।

blogmaster ने कहा…

संजीत जी

नीलिमा जी से बात हुई है, उन्‍होंने मुंबई ही लिखा था, खबर में डेटलाइन नहीं है शायद इसी गफलत में डेस्‍क पर ऐसा हो गया है। वे खुद भी इस गलती के बारे में बता रही थीं।

Anita kumar ने कहा…

नीलिमा जी के हम तहे दिल से शुक्र्गुजार हैं जिन्होने हमारा जिक्र करना मुनासिब समझा, हम तो बस अभी अभी आये है इस ब्लोग की दुनिया में।
जी, आलोक पुराणीक जी का व्यंग का चिठ्ठा हमें ब्लोग की दुनिया में ले आया।
नौकरी का जुगाड़ हो जाए तो हम जयपुर भी आने को तैयार हैं। …।:)

सुजाता ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
सुजाता ने कहा…

बधाई !! हमे खुद को !!
और नीलिमा सुखीजा अरोरा को भी ।

sandoftheeye.blogspot.com

बेनामी ने कहा…

इस ब्लॉग में शामिल हैं हिंदी ब्लॉग जगत की स्त्री लेखिकाएं-

notepad
http://bakalamkhud.blogspot.com/
प्रत्यक्षा
http://pratyaksha.blogspot.com/
घुघुती बासूती
http://ghughutibasuti.blogspot.com/

बेजी का दृष्टिकोण
http://beji-viewpoint.blogspot.com/
रचना की कविता और् भाव
http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/
आँख की किरकिरी http://vadsamvad.blogspot.com/

target ने कहा…

कंचन सिंह चौहान, सुनीता शानू, रंजना भाटिया, प्रत्यक्षा, बेजी, नीलिमा, मीनाक्षी, पारूल व अन्य सभी महिला ब्लागरों को हमारी भी बधाई।

सुनीता शानू ने कहा…

बहुत-बहुत शुक्रिया नीलिमा जी..आपको बहुत-बहुत बधाई बहुत सुन्दर लिखा है...

Pankaj Oudhia ने कहा…

मेरी ओर से भी बधाई। पर आगे जब भी ऐसे लेख लिखे जाये उनमे अनिता जी की संवेदनशील पोस्ट से कुछ भाग, घुघुती जी की दर्द भरी कविताओ के अंश जैसे उदाहरण अवश्य दे। आपको तो पता ही है कि मीनाक्षी जी ने हाइकू के लिये त्रिपदम शब्द दिया है। वे बहुत अच्छा त्रिपदम लिखती है। यदि इन सब का उल्लेख ऐसे लेख मे हो तो चार चाँद लग जाये।

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत ही अच्छा लेख ..शुक्रिया नीलिमा जी...:)

debashish ने कहा…

हममम! रूटीन, मेलोड्रामेटिक, अतिश्योक्तिपूर्ण और सही समय से काफी पहले लिखा लेख! कविता, कहानी, संस्मरण, खीज पर रिपोर्ताज कहाँ हैं हिन्दी महिला ब्लागरों के? क्या ड्राफ्ट मोड में ही सहेजे रखें हैं?

पहला महिला क्म्यूनिटी ब्लॉग? इसमें हिन्दी शब्द जुड़ना रह गया। http://www.blogher.com/ या http://www.wimnonline.org/WIMNsVoicesBlog या http://www.sunsilkgangofgirls.com/ देखा?

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा ने कहा…

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। संजीत जी अनीता जी के बारे में अब सफाई देने की जरूरत रही नहीं।
दूसरा पंकजी की बात में दम है लेकिन स्थान की परेशानी रही। अखबार वाले इतनी कम जगह देते हैं कि इतना सब कट गया कि क्या बताएं।
बिलकुल देबाशीष समय से पहले की बात है ये, आखिर हम सब हिन्दी ब्लागर भी तो ब्लागिंग के स्वर्ण काल से पहले के लोग हैं।
मेरा पूरा आर्टिकल हिन्दी चिट्ठाकारों पर था इसी वजह से अंग्रेजी के वूमन ब्लाग्स को शामिल नहीं किया था।